Saturday, August 22, 2009

Of Ghalib and of wishes..

ना था कुछ तो खुदा था, कुछ ना होता तो खुदा होता, डुबोया मुझको होने ने, ना होता मैं तो क्या होता.
हुई मुददत के ग़लिब मर गया, पर याद आता है, वो हर एक बात पे कहना के "यूँ होता तो क्या होता"..