Thursday, June 25, 2009

एक डायरी के अधूरे पन्ने - 2

सहमा सहमा डरा सा रहता है,
जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है..
एक पल देख लूँ तो उठता हूँ,
जल गया सब,
ज़रा सा रहता है..

Thursday, June 18, 2009

..एक डायरी के अधूरे पन्ने.

कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता,
कहीं ज़मीन तो कहीं आसमां नहीं मिलता..


जिसे भी देखिये वो अपने आप में गुम है,
जुबां मिली है मगर हम जुबां नहीं मिलता..


तेरे जहां में ऐसा नहीं की प्यार न हो,
जहां उम्मीद हो इसकी, वहाँ नहीं मिलता..

Saturday, June 13, 2009

Worth.Less.

A story well written across the margins of an over-read tattered book called life. The plunders of a job, you thought, well done. The moments you pawned in the hopes of leading a worldly pursuit. And the faceless voices that mock the riches you thought were yours. Was it worth it after all?