Thursday, June 25, 2009

एक डायरी के अधूरे पन्ने - 2

सहमा सहमा डरा सा रहता है,
जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है..
एक पल देख लूँ तो उठता हूँ,
जल गया सब,
ज़रा सा रहता है..

1 comment:

Unknown said...

very nice...